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Shri Mataji Nirmala Devi

जिंदगीके बारे में

मानव जाति के लिए इनका प्यार

करुणा के साथ लिखी गई एक कहानी
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Shri Mataji portrait

उनका जीवन

एक जीवन भर का प्रबंधन


बहुत कम उम्र से, श्री माताजी ने सक्रिय रूप से अपने आसपास की दुनिया प्रभाव डालना शुरू कर दिया था। एक छोटी लड़की के रूप में उन्हेंने घर की जिम्मेदारी ली, उनके माता-पिता भारतीय स्वतंत्रता के संघर्ष में शामिल भी थे। वे अपने किशोरावस्था में भी इस आंदोलन में शामिल थे। वह अपने परिवार की देखभाल , करने में तत्पर थे लेकिन उनकी चिंता पारिवारिक दायरे तक सीमित नहीं थी। भारत में कहते हैं की, "पूरी दुनिया एक परिवार है"।

श्री मताजीकी आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि और समझ को महात्मा गांधी द्वारा कम उम्र में ही पहचान लिया गया था। वह अक्सर उनसे आश्रम में होने वाली प्रार्थनाओं के बारे में सलाह लेते थे। उनके सहपाठियों ने भी उन्हें सलाह और समर्थन के लिए हमेशा मददगार पाया हैं, और उनके कॉलेज के दिनों में, श्री माताजी ने "भारत छोड़ो आंदोलन" में अपने साथियों का नेतृत्व भी किया था। श्री माताजीने उनके शादीके बाद एक युवा महिला के रूप में भी अपने परिवारके तरफ साडी जिम्मेदारियां निभाई, इन दिनोमे भी उनके आस-पासके सभी व्यक्तियोमे उत्थान देखा गया हैं।

श्री माताजीने अपने बेटियोंके शादीकी जिम्मेदारी पूरी कर अध्यात्म और ध्यानपे अपना सम्पूर्ण वक़्त देना शुरू किया। उन्होंने लोगों को अपने आंतरिक ऊर्जा स्रोत (जिसे कुंडलिनी के रूप में जाना जाता है) को जागृत करने में मदद करने के लिए एक अनूठी विधि विकसित की और साथ ही एक ध्यान तकनीक से उन्हें दैनिक आधार पर इस ऊर्जा से लाभ उठाने में सक्षम बनाया।

अपने पूरे जीवन के दौरान, श्री माताजी ने विभिन्न देशों, परिस्थितियों और संस्कृतियों के लोगों के साथ खुद मिल उनसे सहृदय सम्बन्ध प्रस्थापित किये, और वे सभी के साथ वास्तविक तौर पे मिलके उन्हें सहजयोगके बारे में और अध्यात्म और ध्यानके बारे में बताते आयी हैं। चाहे दुनिया के नेताओं के साथ राज्य के मामलों पर चर्चा हो या टैक्सी ड्राइवर के साथ पारिवारिक मुद्दे, श्री माताजी मानव के लिए क्या आवश्यक हैं के प्रति संवेदनशील थीं और उनकी चिंता हमेशा परोपकार की रही है।

श्री माताजीका कार्य

अपने अन्तरात्मासे जुड़े

Sahaja Yoga public program

श्री माताजी निर्मला देवी आध्यात्मिकता के इतिहास मे अद्वितीय ऐसी व्यक्ति है क्योंकि वह आत्म-साक्षात्कार के अनुभव को साझा करने वाली पहली और एकमात्र महिला हैं। उन्होंने यहाँ बताया की कि यह सभी मनुष्यों का जन्मसिद्ध अधिकार है फिर वह किसी भी धर्म, जात, राष्ट्रीयता के हो उन्होंने अपना आत्म-साक्षात्कार प्राप्त करे। उन्होंने यह भी बताया कि कोई भी सत्य के लिए या आत्म-ज्ञान के लिए भुगतान नहीं कर सकता है, इस प्रकार आत्म-साक्षात्कार नि: शुल्कही होता है, इसके लिए आप किसीको पैसेका भुगतान नहीं कर सकते हो।

सहज योग ध्यान वह तकनीक है जिसे श्री माताजीने आत्म-साक्षात्कार के माध्यम से जागृत अनुभव को बनाए रखने के लिए विकसित किया है। सहज शब्द का अर्थ है 'सहज' और 'आपके साथ पैदा हुआ', जो इस सूक्ष्म ऊर्जा (कुंडलिनी) जो हर इंसान में मौजूद है उसको परिभाषित करती है। आम धारणा के विपरीत, योग अभ्यास या योग मुद्रा करा नहीं होता, लेकिन वास्तव में योगका अर्थ है 'खुदसे एकजुट होना, एकांकित होना'। व्यक्ति अपने सच्चे स्व के साथ एकजुट होता है, या यह भी कहा जा सकता है कि व्यक्तिगत चेतना सामूहिक चेतना के साथ जुड़ जाती है। जब यह मिलन होता है, तो कुंडलिनी का एकीकृत बल व्यक्तियों के भीतर और हर व्यक्तिके भीतर, दोनों में संतुलन और शांति लाता है।

श्री माताजी ने कई वर्षों तक मानव स्थिति का अध्ययन किया, मानव की आध्यात्मिक क्षमता को अनलॉक करने के लिए एक मार्ग की तलाश की। 5 मई, 1970 को, भारत के नारगोल में समुद्र के किनारे ध्यान करते हुए, उन्होंने अपनी आंतरिक ऊर्जा के जागरण का अनुभव किया। श्री माताजी तब जानती थीं कि इस अनुभव और ज्ञान को सभी मनुष्यों के लिए सुलभ बनाने का समय आ गया है। वह यह भी जानती थी कि इस अनुभव को लेनेके लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता है, विपरीत इसके हर व्यक्ति की उनके खुदके स्वतंत्रतासे स्वयं तय करने के लिए छोड़ दिया जाना चाहिए कि वे इस कुण्डलिनी जागरणके इस अनुभूतिको चाहते हैं या नहीं।

श्री माताजीने सहजयोग द्वारा स्थानीय स्तर पर, और अंततः विश्व स्तर पर , कुंडलिनी के रूप में जानी जाने वाली सूक्ष्म आंतरिक ऊर्जा का जागरण, उनके मुफ्त सार्वजनिक व्याख्यान मे करना शुरू किया। श्री माताजी इन कार्यक्रमों के बाद घंटों उन लोगों के साथ बिताती थीं, जो उनसे मिलना चाहते थे, सलाह देती थे या उनके असंतुलन को ठीक करते हुए बहुत ऊर्जा का उपयोग करती थी जो उनमेभी जागृत हो चुकी थी।


पहली जागृती

"आप क्या खोज रहे हैं? आप लक्ष्यहीन और सूचीहीन यहा-वह क्यों दौड़ रहे है? भौतिक लाभ में जो आप आनंद खोज रहे है, वह आनंद जो आप सत्ता में खोज रहे है, वह आनंद जो पुस्तकों के शब्दों के बिच कही खो गया है, वह तथाकथित ज्ञान सब आपके अंदर कही खो गया है, और आप अभी भी खोज रहे हैं और खोजतेही जा रहे है! आप अपने बाहर की हर चीज पर ध्यान दे सकते हैं। आप अपने विचारों में खो चुके है, बिलकुल वैसे जैसे कि लकडियोंके ढेर में सुई खो जाती है।

लेकिन इस बात की बहुत उम्मीद है कि आप विचारहीन जागरूकता के स्वर्ग में उठ सकते हैं, जिसे हम आत्म-साक्षात्कार कहते हैं। मैं आपको दिव्य आनंद की इस अनभूति के लिए आमंत्रित करती हूं, जो आपके चारों ओर बरस रही है, यहां तक ​​कि इस कलियुग में, इन ईश्वर-विस्मृत आधुनिक समय में भी यह बह रही है। मुझे आशा है कि आप अनन्त जीवन के इस आध्यात्मिक अनुभव का आनंद लेंगे।"

अभी अनुभूति ले

मेरे पुष्पसम बच्चों के लिए - कविता

आप जीवन से नाराज है
एक छोटे बच्चों की तरह
जिसकी मां अंधेरे में खो गई है।
आप निराश है
अपनी यात्रा के फलहीन अंत से,
आप सुंदरता की खोज के लिए कुरूपता पहनते है।
आप सत्य के नाम पर सब कुछ झूठ बोलते है,
आप प्यार के लिए भावनाओमे बह जाते है।
मेरे प्यारे बच्चों, मेरे लाडले बच्चो,
खुदसे,अपने अस्तित्वसे, अपनेही खुशीसे युद्ध कर
आप कैसे शांति पाओगे,
आपके त्याग का,
सांत्वना का कृत्रिम मुखौटा रखनेका
प्रयास अभ पर्याप्त है।
आओ अब कमल के फूल की पंखुड़ियों मे विश्राम करो,
अपनी करुणामयी माँ की गोद मे आओ विश्राम करो।
मैं तुम्हारे जीवन को सुंदर फूलों से सुशोभित कर दूंगी
और इनके हर्षित खुशबू के साथ आपके हर क्षणों को भर दूंगी।
आओ के मै आपका दिव्य प्रेम से अभिषेक करूंगी,
क्योंकि मैं तुम्हारी यातना को अब और सहन नहीं कर सकती।
आओ मुझे आपको आनंद के सागर में पूर्ण आनंदमय करने दो,
ताकि आप अपने आपको उस महासागरसे जोड़ पाए,
और उससे मिल पाए जो
गुप्त रूप से आप सभी को सुखी करने के लिए कार्यशील है।
सजग हो जाओ और आप उन्हे पाओगे,
अत्यानंदके के साथ अपनी हर नसोंको उस चैतन्यसे भरा पाओगे,
जो पूरे ब्रह्मांड को प्रकाशमय करता रहा है।