प्रत्येक मनुष्य के भीतर नसों और संवेदी अंगों का एक नेटवर्क होता है जो बाहरी भौतिक दुनिया की व्याख्या करता है। उसी तरह हमारे भीतर चैनलों (नाडियों) और ऊर्जा केंद्रों (चक्रों) की एक सूक्ष्म प्रणाली है जो हमारे भौतिक, बौद्धिक, भावनात्मक और आध्यात्मिक ध्यान रखती है। सात चक्रों में से प्रत्येक (बाईं ओर की छवि में एक स्टार द्वारा दर्शाया गया है) में कई आध्यात्मिक गुण हैं। जब कुंडलिनी ऊर्जा, जो रीढ़ के आधार पर सुप्त होती है, जागृत होती है, तो चक्रों की रुकावटों को खत्म कर रीढ़ की हड्डी से चढ़ती है और हमें हमारी शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक समस्याओं से मुक्त करती है, जो हमें अपने और अपने पर्यावरण के साथ संतुलन प्रदान करती है।
सूक्ष्म प्रणाली के तीन चैनल हैं, संस्कृत भाषा में, इड़ा नाड़ी, पिंगला नाडी और सुषुम्ना नाड़ी (संस्कृत में नदी या चैनल)।
पिंगला नाड़ी दाहिनी ओर, सूर्य का चैनल, क्रिया का चैनल है। यह हमारे तर्कसंगत दिमाग को शक्ति देता है, जो हमे प्रयास के माध्यम से समस्याओं को दूर करने के लिए आवश्यक गुण सीखने और प्राप्त करने मे मदद करता है। यह पुरुषों और महिलाओंमे पुरुषोमें मे सबसे ज्यादा बलवान भाग होता है। दाईं ओर की ख़ास समस्याएं स्वार्थी या हिंसक व्यवहार, अहंकार और अभिमान हैं।
इडा नाडी बाईं ओर, चंद्रमा का चैनल, या इच्छा नाड़ी है। यह हमें शुद्ध इच्छा शक्ति प्रदान करता है, गहन आनंद, शुद्ध प्रेम, करुणा और कलात्मक क्षमताओं के गुण प्रदान करता है। यह अतीत से संबंधित है। यह पक्ष पुरुषों और महिलाओं की सबसे अधिक स्त्री मे ज्यादा बलवान होता है। बाईं ओर की विशिष्ट समस्याएं भावनात्मक लगाव, अवसाद, कम आत्मसम्मान, अपराध या सुस्ती है।
सेंट्रल चैनल, सुषुम्ना नाडी, अन्य दो चैनलों का संतुलन है। सहज योग का दैनिक ध्यान सूर्य के चैनल को ठंडा करने और चंद्र चैनल को गर्म करने की ओर जाता है, इस प्रकार संतुलन की एक स्थिति प्राप्त होती है जिसमें चित्त एक चैनल से दूसरे चैनल मे जाना रुख जाता है, और व्यक्ति भावनात्मक या अतीकार्यशील न बनके सन्तुलनमे आ कर वर्तमान मे स्थित होने मे मदद करता है।
मानव शरीर की महत्वपूर्ण शक्ति चक्रों में केंद्रित है। यह चक्र ऊर्जा का एक केंद्र है, जिसे आम तौर पर सीधा देखा नहीं जा सकता है, लेकिन जो भौतिक शरीर के उन हिस्सों के सही कामकाज को नियंत्रित करता है जो उन चक्रोके नियंत्रण में हैं। हमारे कल्याण के लिए यह बहुत महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक चक्रको क्या प्रभावित कर सकता है यह जान ले, क्योंकि प्रत्येक विचार और क्रिया इन ऊर्जावान केंद्रों की संवेदनशीलता और कार्यशीलता को प्रभावित करती है।
बोध के तुरंत बाद, चक्र सक्रिय हो जाते हैं और आत्म-विनाशकारी गतिविधियों, जैसे नशा, शराब, हिंसा, क्रोध या किसी भी प्रकार की कट्टरता के वर्षों के दौरान जमा होने वाली सभी नकारात्मक ऊर्जा को साफ करने की धीमी प्रक्रिया शुरू होती है। लाभ लगभग तत्काल हैं; छोटी-छोटी चिंताएँ कम हो जाती हैं और आनन्द और निष्पक्षता प्रकट होने लगती है। हमारे शरीर के सात मुख्य चक्र हैं, जो स्वायत्त प्रणाली के तंत्रिका प्लेक्सस के अनुरूप है, और जो हमे कूटनीति, करुणा, ज्ञान और रचनात्मकता जैसे गुण प्रदान करते हैं। आरोही क्रम में, सात चक्र निम्नलिखित हैं:
पहला चक्र त्रिकोणाकार हड्डी के नीचे स्थित है, जिसमें कुंडलिनी निवास करती है। इसका मुख्य पहलू निर्दोषता है, जो वह गुण है जो हमें पूर्वाग्रहों और कंडीशनिंग की सीमाओं के बिना शुद्ध आनंद का अनुभव करने मे मदद करती है। अबोधिता हमे सम्मान, संतुलन और सही होनेकी एक मजबूत भावना प्रदान करती है; एक ऐसा ज्ञान जो हमेशा बच्चों में मौजूद होता है, लेकिन जो हममे थोड़ा थोड़ा कर कम होती जाती है, जो मुख्यतः आधुनिक जीवन की परिस्थितियों में दुबे रेहनेसे होता है। यह गुण हम सभी में मौजूद है, और यह केवल कुंडलिनी के जागरण के लिए अपनी सभी सुंदरता और पवित्रता में प्रकट होने की प्रतीक्षा कर रहे है।
दूसरा चक्र रचनात्मकता, ज्ञान और शुद्ध ध्यान का है। यह वह चक्र है जो हमें प्रेरणा के आंतरिक स्रोत से जोड़ता है और हमें उस सुंदर अनुभूतिका अनुभव करने मे मदद करता है। यह चक्र हमें जो शुद्ध ज्ञान देता है, वह मानसिक नहीं है, बल्कि वास्तविकता का प्रत्यक्ष और पूर्ण बोध है। इस केंद्र में एकाग्रता और चित्त स्थिर कर देने की हमारी क्षमता है। भौतिक तल पर, यह यकृत के निचले हिस्से, गुर्दे और पेट के निचले हिस्से की देखभाल करता है।
तीसरा चक्र वह है जो हमें उदारता और संतुष्टि और खुशी की पूर्णता का गुण प्रदान करता है।जब कुंडलिनी इस चक्र को प्रकाशित करती है, तो यह हमारे जीवन के विभिन्न पहलुओं में संतुलन प्रदान करती है, और हमे नैतिकता की आंतरिक भावना प्रदान करती है।
चौथा चक्र, हृदय चक्र, वह स्थान है जहा आत्मा का वास होता है, यह सत्यका है। हृदय से प्रेम और करुणा प्रकट होती है, और यह चक्र हमें जिम्मेदारी का एहसास दिलाता है।अपने केंद्रीय भाग में, उरोस्थि की ऊंचाई पर, यह पूर्ण सुरक्षा और आत्मविश्वास के रूप में प्रकट होता है। जब कुंडलिनी हृदय चक्र से गुजरती है, तो हमारे सभी भय समाप्त हो जाते हैं।
पांचवा चक्र व्यवहार कुशलताका है। यह चक्र दूसरों के साथ संवाद करने में लगने वाली ऊर्जा प्रदान करता है। इसकी अच्छी स्थिति से संबंध सही स्थापित होते है और इसके चलते हम हृदय की धारणाओं को पूर्णतः व्यक्त कर सकते हैं।यह चक्र अपराध की भावनाओं के साथ बाधित होता है और जब हम अपने अहंकार के साथ दूसरों को दोष देते हैं, अर्थात् जब हम अपने या किसी और की गरिमा की हानी करते है तभ यह चक्र बाधित होता है।
छठा चक्र क्षमा और करुणा के लिए जिम्मेदार है, और बिना प्रयासोंके मानसिक चेतना को आध्यात्मिक चेतना में स्थानांतरित करने मे मदद करता है (संस्कृत निर्विचार में)। क्षमा का सबसे अच्छा प्रतिपादक यीशु है। उनके अंतिम शब्द, "उन्हें क्षमा करें क्योंकि वे नहीं जानते कि वे क्या कर रहे हैं," माफी का सबसे अच्छा उदाहरण है।जब यह चक्र खुल जाता है, तो हम क्षमा का सही अर्थ समझ लेते हैं, जैसे हम उस बुराई से अवगत हो जाते हैं जो घृणा और आक्रोश हममे भरता है। शांति और प्रेम के साथ एक इंसान अपनी आत्मा के म्हणता को पहचान कशमशील बन जाता है।
सातवां केंद्र अपने सभी गुणों और पहलुओं के साथ छह चक्रोंको को एकीकृत करता है। यह मानव चेतना के विकास में अंतिम चरण है। समग्र रूप से मानवता को इस चक्र को जगाने की विधि अभ तक अज्ञात थी।सहस्रार चक्र हमें वास्तविकता का प्रत्यक्ष बोध कराता है, जिसे साकार योग द्वारा दिए गए कुंडलिनी के सहज जागरण के माध्यम से प्राप्त किया जाता है।
चैतन्य लहरी, जिसे शायद आपने आत्मसक्षात्कार के अभय के दौरान महसूस किया है, यह वही ठंडी हवा है जो हम अपने हाथों की हथेलियों में और अपने सिर पर महसूस करते हैं जब हम ध्यान करते है और वही जो प्राचीन ग्रंथों में योगियों द्वारा और सूफी कलाकारों द्वारा, सदियो पहलेसे अफ्रीका से एशिया तक वर्णित किया गया है भारत में इसे चैतन्य लहरी, इस्लाम में अल-रूह या ईसाई धर्म में पवित्र आत्मा के रूप में जाना जाता है। यह एक नई खोज नहीं है, लेकिन बहुत कम लोगों ने इसे पूरे इतिहास में महसूस किया है और जिन लोगों ने इसे महसूस किया है वे इसे उन लोगों को आसानीसे नहीं समझा सकते है जिन्होंने नहीं किया है। हम आपको इसे फिर से आज़माने के लिए आमंत्रित करते हैं, और इसे मुफ्त सहजयोग पाठ्यक्रम द्वारा सामूहिक रूप से प्रयोग कर महसूस करने हेतु आमंत्रित करते है।
यह सिर्फ अपने आप को ध्यान के अपने अनुभव के माध्यम से जानने की शुरुआत है और हम आपको सहजोग सेण्टर पर फिरसे देखना चाहेंगे
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