विवेक एक मानवीय विशेषता मानी जाती है जो की उन्नत बोद्धिक एवं भावनात्मक विकास के माध्यम से लम्बे समय में विकसित हुई है | यह ज्ञान एवं सूचना से अधिक उन्नत आत्मबोध समझ एवं नैतिकता को इंगित करता है ;यह वह गुण है जो लगातार ध्यान द्वारा प्राप्त किया जा सकता है |
हमारे द्वारा बिस्तर पर बिताये घंटो से भी अधिक हमारी नींद की गहनता एवं गुणात्मकता हो जाती है |दिन भर नींद जैसे लक्षण यह प्रकट करते है की हमारी नींद भरपूर नही है |ध्यान से नाडी तंत्र एवं बोधिक प्रक्रिया से सम्बन्धित चिंता और तनाव में सुधार होकर बेहतर नींद हो जाती है |
जीवन की चुनौतियाँ एवं तनाव हमें रुकने नहीं देते परिणामस्वरूप यह हमारी नींद के क्रम को बाधित कर सकता है|अच्छी नींद पाने की चिंता इस समस्या को और भी स्थायी बना सकती है |ध्यान हमारे अति उत्तेजित नाड़ीतन्त्र एवं व्यस्त मस्तिष्क को शांत होने में सहायता करता है |
डर की वजह से शरीर और नाड़ी तंत्र खतरनाक प्रतिक्रिया शुरू कर सकता है |अक्सर तनाव चिंता और परेशानी उत्पन्न हो सकती है |नियमित ध्यान इन प्रभाव को कम कर सकता है |यह प्रमस्तिष्क खंड को सुधार कर सुनिश्चित करता है की हमारी ख़तरों को परखने की क्षमता उन्नत होकर प्रतिक्रिया करने की आदत कम हो जाए |
नुकसान की स्वाभाविक प्रतिक्रिया दुःख, दर्द एवं उदासी है, कभी-कभी यह अत्यधिक हो सकती है |ध्यान इसकी पहचान करके ,परिस्तिथि को स्वीकार करने में मदद कर सकता है |
ध्यान हमारी प्रेम के आदान-प्रदान की क्षमता बढ़ाता है |हमारा पूर्ण संतुष्ट, खुला एवं सामयिक व्यवहार होने के कारण हम अन्य लोगों के लिए सहज उपलब्ध हो पाते |ध्यान के द्वारा प्राप्त समाधान और आंतरिक शांति प्रेम व सकारात्मकता के रूप में हमारे अंदर से व्यवहार में प्रकट होती है |
मोह और लगाव हम पर हावी हो सकते है |ध्यान के द्वारा हम इनसे मुक्त हो सकते है |लगातार ध्यान हमारे मन को अनुभव जन्य वास्तविकता को स्वीकार करने तथा भौतिक चीज़ो के बिना भी आराम और प्रसन्नता पाने में सहायता करता है |
बिना किसी प्रस्तुत तार्किकता के किसी भी घटना का पूर्वानुमान या समझ पाने की क्षमता ही अंत:प्रेरणा कहलाती है |ध्यान हमारे मस्तिष्क को विकसित कर के हमारी इस आतंरिक शक्ति को बढ़ा देता है |
ध्यान हमारे प्रसन्नता की स्थिति को बढ़ाने हेतु नाड़ी पथ को पुनःसमरूप बनाकर गहन एवं चिर संतुष्टि का अनुभव करवाने में सहायक है |ध्यान हमारे मस्तिष्क में सेरोटेनिन,डोपामाइन और मेलोटेनिन नामक स्त्राव की उत्पत्ति को बढ़ावा दे कर सकारात्मक मन ,तनाव मुक्ति व प्रसन्नता प्रदान करता है|
तनाव पूर्ण स्थिति के बावजूद भावनात्मक संतुलन मन की योग्यता है |अत्यधिक भावुकता हमारे मस्तिष्क की किसी भी विषय को समझने की योग्यता को प्रभावित कर सकती है |ध्यान हमारे भावातिरेक को नियंत्रित कर के हमें मूल तत्व से जोड़े रखता है |
किसी के उपकार और अनुग्रह की प्रसन्नता से स्वीकृति ही कृतज्ञता का भाव है,एवं इस भाव की गहन स्वीकृति चिर सकारात्मकता उत्पन्न कर सकती है |ध्यान के दौरान जागरूक कृतज्ञता शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य की वृद्धि कर देती है |
ध्यान के माध्यम से हम अज्ञान और पाखंड से मुक्त हो कर सत्य को खोजते है, जो अंततः मन की कमज़ोरी को उखाड़ कर प्रबुद्धता की और ले जाता है |
क्षमा ना कर पाने के कारण हम भूत काल से जुड़ जाते है ;दोषी भाव और पछतावा हमारे मन को हानिकारक भावनाओं से भर देता है और हमें वर्तमान का आनंद नहीं लेने देता |ध्यान हमें, स्वयं अथवा अन्य लोगों के द्वारा उत्पन्न दुःख से राहत पाने में मदद करता है और परिणामस्वरूप आतंरिक शांति |
ध्यान मस्तिष्क के स्नायुजाल में संबद्धता की क्षमता बढ़ा देता है जो की हमारे चित्त को नियंत्रित करता है |ध्यान का अभ्यास हमें भटक ने से रोक कर चित्त को केन्द्रित एवं शक्तिशाली करता है |
हमारी उच्चतम अवस्था तब होती है जब हम शांत और जागरूक होते, चूँकि अहंकार शांत होता है तो हमारे कर्म प्रयासहीन तरल से सुगम लगते है जो की ठहराव और शांति का आभास देते है |
हमारा जगत को महसूस करने और उस पर प्रतिक्रिया करने का विशिष्ट ढंग भावना है |ध्यान हमारे मस्तिष्क में घटनाओं को निष्पक्षता से देखने और महसूस करने का स्थान बनाता है जिसके माध्यम से हम मुश्किल परिस्थितियों को पहचानने, स्वीकार करने और उनका सामना करने का स्वस्थ तरीका सीख जाते है |
ध्यान हमारे अंदर जो हमारा सर्वश्रेष्ठ है उससे जुड़े रहने का रास्ता खोल देता है |ध्यान हमारे शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक आयाम को एक सूत्र में पिरो कर शांति संतुलन तथा एकरूपता स्थापित करता है |
यह पाया गया की ध्यान, विचारों की जुगाली अर्थात बार- बार एक ही विचार या समस्या के बारे में सोच, को घटा देता है |यह अवसाद का सामना कर रहे लोगों के अविश्वसनीय विचारों को कम करने में मदद करके दया, आश्वासन और बेहतर समझ देता है |
हमारा शरीर जब किसी लड़ाई या संभावित घटना (जो की अक्सर घटित ही नही) की प्रतिक्रिया की तैयारी करता है तो हम व्यग्र या चिंतित होते है |नियमित ध्यान का अभ्यास ऐसे लोगों को एकाग्र होने और वर्तमान क्षण में रहने के साथ-साथ परिस्थितियों को उसी रूप में ग्रहण करने की क्षमता देता है जैसी की वह है |
व्यसन से मुक्ति के बाद स्वास्थ लाभ एक चुनौती है क्यो कि इस प्रक्रिया में मस्तिष्क और शरीर दोनो प्रभावित होते है |सोचने की क्षमता प्रभावित होती है क्यो की मस्तिष्क बिना नशीली पदार्थ के जीवन को अपनाना सीखता है|ध्यान भावनाओं को नियंत्रित करने और वैचारिक स्पष्टता को बढ़ाता है |
निरंतर ध्यान के द्वारा प्राप्त एकाग्रता, धैर्य और सुस्पष्ट विचार, अनोखी सोच को बढ़ावा देते है, जो की रचनात्मकता का कुंजी है |यह एक तरीके से पुराने और जड़, सोच -विचार, रिवाज, तथा अनुपयोगी तरीकों को त्याग नवीनता को स्थान दिलाता है |
पारस्परिक सम्बन्ध की अनुभूति एक मानसिक जरुरत है |ध्यान करुणा एवं घनिष्टता की अनुभूति को तीव्र कर प्रसन्नता को बढ़ाता है |जो लोग स्वयं को अन्य लोगो से अधिक जुड़ा हुआ महसूस करते है उन्हें चिंता और अवसाद कम ही होता है |
ध्यान मस्तिष्क में रक्त का प्रवाह बढ़ा कर व्यग्र मन को शांति प्रदान करता है |मन की व्यस्तता कम होने पर ही हमारे अंदर जागरूकता आती है जो एकाग्रता पाने में सहायक है |
ध्यान के दौरान सकारात्मक भावनाओं के संवर्धन से, हमारी लोगों को महत्व देने की क्षमता बढ़ जाती है तथा हम लोगों के दुःख को मरहम लगा कर आनंद प्रदान कर सकते है |
हमारे मस्तिष्क में प्रति दिन करीब 60,000 विचार आते है |ध्यान मस्तिष्क को स्वच्छ कर दृढ़ और तुरंत निर्णय लेने की क्षमता प्रदान करता है | लक्ष्य यह है की, विचारों का प्रवाह रुके, ताकि हमारा योग पोषित होकर बुद्धि को प्रकाशित करे और सुस्पष्ट सोच बने |
विचारों से मुक्ति पाकर स्वयं को पहचानना ही जाग्रति है |यह हमारी चेतना का वह परिवर्तन है जब विचारों के मौन में अंतरात्मा की आवाज़ सुनी जाती है |
सत्य के प्रति आग्रह मानव का मूल स्वभाव है |ध्यान के माध्यम से, हम विचारों के भटकाव और बैचेनी को छोड़ कर, आतंरिक एकाग्रता द्वारा, अपने सत्य स्वरूप का ज्ञान और जगत में अपनी विशिष्ट पहचान पाते है, ताकि समग्रता से कार्य कर सकें |
“स्वीकार” अर्थात परिवर्तन या विरोध की इच्छा को त्याग कर, पूर्ण जाग्रति में जो जैसा हो रहा हो वैसा ही होने देना |ध्यान हमें करुणामय बना कर वर्तमान में स्थित करता है |
विपुलता की अनुभूति हमारे अंदर नई संभावना खोलती है, जो रचनात्मकता की और ले जाती है |कमी का अहसास सिकोड़ कर चिंतित और भयभीत बनाता है | ध्यान और प्रार्थना हमारी मानसिकता को अभाव से बदल प्रचुरता की और ले जाती है |